जन्म और कर्मस्थली इंदौर ,बहुत सालों तक अध्यापन के बाद अब लेखन को समर्पित ,कई प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख ,लघुकथाएं , कहानियाँ और कविताओं का प्रकाशन .
पढ़ने की अभिरुचि ब्लॉगजगत तक खींच लाई,इसके विराट स्वरुप ने लेखन की चाह को विस्तार दिया,और जिस उन्मुक्त ह्रदय से इसने मुझे अपनाया, सराहा, मैं अभिभूत हुई। नाम है कविता वर्मा,मन की बाते, विचार, उलझने जो किसी से न कह पाई वही शब्दों के रूप में निकल कर कहानियों में समां गयी ....ब्लॉग ने कुछ न कह पाने की पीड़ा को बखूबी सहलाया ,और मन की कही अनकही बाते यहाँ उंडेल कर मैं भारहीन हो कर उन्मुक्त आकाश में उड़ चली...
कहानी संग्रह 'परछाइयों के उजाले ' को अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान से 'सरोजिनी कुलश्रेष्ठ कहानी संग्रह पुरस्कार ' से प्रथम पुरस्कार।
कहानी संग्रह 'कछु अकथ कहानी' को मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल से 2020 का वागीश्वरी पुरस्कार
उपन्यास छूटी गलियाँ
उपन्यास अब तो बेलि फैल गई।